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अर्थशाला / भाग 4 / केशव कल्पान्त
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12:00, 27 अगस्त 2018
शिक्षा से मन को धेकर तुम,
परमपूर्ण आनन्द उठा लो ॥50॥
</poem>
</td>
<td valign="top" style="font-size:12px">
<poem>
Man always pondens over,
Unlimited ends and limited means.
To enjoy the great contentment.
</poem>
</td></tr>
</table>
Lalit Kumar
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