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"रात / पवन कुमार" के अवतरणों में अंतर

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08:34, 27 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

वक्त के मेले में
जब भी रात घूमने निकलती है
न जाने क्यूँ
हर बार
अपने कुछ बेटों को
जिन्हें ‘लम्हा’ कहते हैं
छोड़ आती है।
ये गुमशुदा लम्हे
हर रात
अपनी माँ की तलाश
में जुगनू की शक्ल
इख़्तियार करके
भटकते रहते हैं,
मचलते रहते हैं।