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"परिधि / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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05:57, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

बिना खूंटियों के
टंगे हैं सपने
जगह-जगह !
आंख की परिधि से
परे नहीं है
एक भी सपना !