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सुशिक्षा-सोपान / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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20:10, 21 मई 2013
जी में जो अनुराग तनिक भी जग-जन के हित का हो।4।
नई
पौधाों
पौधों
से ही है आस।
जाति जिलाने वाली, जड़ी सजीवन है इनही के पास।
इनके बने जाति बनती है बिगड़े हो जाती है नास।
Mani Gupta
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