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मुनिक शान्तिमय-पर्ण कुटीमे,
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तापसीक अचपल भृकुटीमे,
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तापसीक अचपल भृकुटीमे
साम श्रवणरत श्रुतिक पुटीमे,
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साम श्रवणरत श्रुतिक पुटीमे
 
छन अहाँक आवास।
 
छन अहाँक आवास।
बिसरि गेल छी से हम,
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बिसरि गेल छी से हम
किन्तु न झाँपल अछि इतिहास।।
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किन्तु न झाँपल अछि इतिहास
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यज्ञ धूम संकुचित नयनमे,
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कामधेउनु -ख़ुर खनित अयन में
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मुनिक कन्याक प्रसून चयन में
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चल आहांक आमोद
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स्मरणों जाकर करॆए अछि छन भरि,
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सभ शोकक अपनोद।
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शारदा -यति जयलापमे
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विद्यापति -कविता -कलापमे
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न्यायदेव नृप-पतिक प्रतापमे
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देखिय तोर महत्व
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जाहि सं आनो कहेइच जे अछि
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मिथिलामे किछु तत्व।
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कीर दम्पतिक तत्वादमे
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लखिमा कृत कविताक स्वादमे
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विजयि उद्यनक जयोन्माद मे
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अछि से अद्वूत शक्ति
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जहि सं होएछ अधर्मारिकहुकें
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तव पद पंकज मे भक्ति
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धीर अयाची सागपात मे
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पद बद्ध प्रतिभा - प्रभातमे
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चल आहाँक उत्कर्ष
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ऒखन धरि जे झाप रहल अछि
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हमर सभक अपकर्ष।
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लक्ष्मीनाथक योगध्यान मे
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कवी चंद्रक कविताक गान में
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नृप रमशेवर उच्च ज्ञानमे
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आभा अमल आहाँक
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विद्याबल विभवक गौरवमे
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अहँ ची थोर कहांक?
 
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13:57, 12 जून 2013 के समय का अवतरण

मुनिक शान्तिमय-पर्ण कुटीमे
तापसीक अचपल भृकुटीमे
साम श्रवणरत श्रुतिक पुटीमे
छन अहाँक आवास।
बिसरि गेल छी से हम
किन्तु न झाँपल अछि इतिहास

यज्ञ धूम संकुचित नयनमे,
कामधेउनु -ख़ुर खनित अयन में
मुनिक कन्याक प्रसून चयन में
चल आहांक आमोद
स्मरणों जाकर करॆए अछि छन भरि,
सभ शोकक अपनोद।

शारदा -यति जयलापमे
विद्यापति -कविता -कलापमे
न्यायदेव नृप-पतिक प्रतापमे
देखिय तोर महत्व
जाहि सं आनो कहेइच जे अछि
मिथिलामे किछु तत्व।

कीर दम्पतिक तत्वादमे
लखिमा कृत कविताक स्वादमे
विजयि उद्यनक जयोन्माद मे
अछि से अद्वूत शक्ति
जहि सं होएछ अधर्मारिकहुकें
तव पद पंकज मे भक्ति

धीर अयाची सागपात मे
पद बद्ध प्रतिभा - प्रभातमे
चल आहाँक उत्कर्ष
ऒखन धरि जे झाप रहल अछि
हमर सभक अपकर्ष।

लक्ष्मीनाथक योगध्यान मे
कवी चंद्रक कविताक गान में
नृप रमशेवर उच्च ज्ञानमे
आभा अमल आहाँक
विद्याबल विभवक गौरवमे
अहँ ची थोर कहांक?