भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बहुत कुछ कहाइल / पाण्डेय कपिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पाण्डेय कपिल }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBhojpuriRachna}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatBhojpuriRachna}} | {{KKCatBhojpuriRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | बहुत कुछ कहाइल, | + | बहुत कुछ कहाइल,बहुत कुछ लिखाइल |
+ | मगर बात मन के कबो न ओराइल | ||
+ | |||
+ | लिखाइल भले बात हिरदय से अपना | ||
+ | मगर ऊ लिखलका कबो न पढ़ाइल | ||
+ | |||
+ | हमरा देक्ज के ऊ नज़र फेर लिहले | ||
+ | पहुँचली जबे हम उहाँ पर धधाइल | ||
+ | |||
+ | बताईं ना, कइसे ऊ मन से हटाईं | ||
+ | सहज रूप उनकर जे मन में समाइल | ||
+ | |||
+ | कहाँ बाटे फुर्सत की सोचत करीं हम | ||
+ | इहाँ रोजी-रोटी के दँवरी नधाइल. |
14:29, 30 जून 2013 के समय का अवतरण
बहुत कुछ कहाइल,बहुत कुछ लिखाइल
मगर बात मन के कबो न ओराइल
लिखाइल भले बात हिरदय से अपना
मगर ऊ लिखलका कबो न पढ़ाइल
हमरा देक्ज के ऊ नज़र फेर लिहले
पहुँचली जबे हम उहाँ पर धधाइल
बताईं ना, कइसे ऊ मन से हटाईं
सहज रूप उनकर जे मन में समाइल
कहाँ बाटे फुर्सत की सोचत करीं हम
इहाँ रोजी-रोटी के दँवरी नधाइल.