Changes

|रचनाकार=शैलेश ज़ैदी
}}
<poem>
{{KKPageNavigation
|सारणी=अब किसे बनवास दोगे / शैलेश ज़ैदी
|पीछे=अब किसे बनवास दोगे / अध्याय 1 / भाग 2 / शैलेश ज़ैदी
}}
बांचती <poem>बाँचती हैं यादें एक इतिहास।
सरयू के जल में नहायी अयोध्या की धरती,
होती है जीवन्त आंखों के समक्ष
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,100
edits