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रवीन्द्र प्रभात
जन्म | 05 अप्रैल 1969 |
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जन्म स्थान | महिन्दवारा, सीतामढ़ी जिला, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हमसफ़र (ग़ज़ल संग्रह) (1991), मत रोना रमजानी चाचा (ग़ज़ल संग्रह) (1999), स्मृति-शेष (कविता-संग्रह) (2002) | |
विविध | |
अनियतकालीन 'उर्विजा' और 'फागुनाहट' का संपादन। हिंदी मासिक 'संवाद' तथा 'साहित्यांजलि' का विशेष संपादन। डवाकरा की टेली डक्यूमेंटरी फ़िल्म "नया विहान" की पटकथा। | |
जीवन परिचय | |
रवीन्द्र प्रभात / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- बनारस : दो शब्दचित्र / रवीन्द्र प्रभात
- नदी / रवीन्द्र प्रभात
- बीमार होता है कोई मज़दूर / रवीन्द्र प्रभात
- बाबू! औरत होना पाप है पाप / रवीन्द्र प्रभात
- जब शहर से वापस आना / रवीन्द्र प्रभात
- झिन्गना की राम कहानी / रवीन्द्र प्रभात
- बैल नही हो सकता आदमी कभी भी / रवीन्द्र प्रभात
- लौटेगी संवेदनाएँ उनकी भी / रवीन्द्र प्रभात
- चुनाव जब भी आता है दोस्त / रवीन्द्र प्रभात
- उसी प्रकार जैसे ख़त्म हो गयी समाज से सादगी आदमी भी ख़त्म हो गया और आदमीयत भी / रवीन्द्र प्रभात
- देश को अब चाहिए ख़ुशनुमा सा एक प्रभात / रवीन्द्र प्रभात
- वक़्त आएँगे जिनके वो मर जाएँगे / रवीन्द्र प्रभात
- अब न हो शकुनी सफल हर दाँव में / रवीन्द्र प्रभात
- घर को ही कश्मीर बना / रवीन्द्र प्रभात
- हर तरफ़ संत्रास अब मैं क्या करूँ आशा / रवीन्द्र प्रभात
- चीख़ते-बोलते बेहिचक, आदमी बेज़ुबाँ देखिए / रवीन्द्र प्रभात
- आप कहते हो मियाँ सब छोड़ दो भगवान पर / रवीन्द्र प्रभात
- बहुत है नाज तुमको आजकल अपनी उड़ान पर / रवीन्द्र प्रभात
- फागुन के संग पतझड़ आया बहुत दिनों के बाद / रवीन्द्र प्रभात
- अनुप्रास हुआ मन-मन्दिर, जीवन मधुमास हुआ / रवीन्द्र प्रभात
- लौटा है शीत जब से गाँव / रवीन्द्र प्रभात
- सखी री फागुन आया है / रवीन्द्र प्रभात
- कुछ दोहे / रवीन्द्र प्रभात
- तुम्हारा हिंदुस्तान कहाँ है?/ रवीन्द्र प्रभात
- यक़ीनन शायरी की इल्म जिसके पास होती वह / रवीन्द्र प्रभात
- तुझमें है तासीर मोहब्बत की भीतर तक - शायर ग़ालिब-मीर तुम्हारी आँखों मे है / रवीन्द्र प्रभात
- मौन है क्यों कुछ तो बता लखनऊ शहर ?/ रवीन्द्र प्रभात
- चुप हुये तो हो गए बदनाम क्यों ? / रवीन्द्र प्रभात
- एक ग़ज़ल हिंदी को समर्पित / रवीन्द्र प्रभात
- भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है?/ रवीन्द्र प्रभात
- मसलों से ग्रस्त है जब आदमी इस देश में / रवीन्द्र प्रभात
- यहाँ नही कुछ खास हमारे पास मियाँ / रवीन्द्र प्रभात
- हम फकीरों की गली में झांकिए / रवीन्द्र प्रभात
- भर दे जो रसधार दिल के घाव में / रवीन्द्र प्रभात
- पुलिस फिरौती मांगे मितवा / रवीन्द्र प्रभात
- शब्द-शब्द अनमोल परिंदे / रवीन्द्र प्रभात
- आज अपने आप में क्या हो गया है आदमी / रवीन्द्र प्रभात
- बेटियाँ, बेटियाँ, बेटियाँ / रवीन्द्र प्रभात
- तुम लौट आना अपने गाँव /रवीन्द्र प्रभात
- अपनी दीवानगी को गंवाना फ़िज़ूल / रवीन्द्र प्रभात
- जो शीशे का मकान रखता है / रवीन्द्र प्रभात
- जहाँ शेर-बकरी साथ बैठे वह पड़ाव चाहिए / रवीन्द्र प्रभात
- एक कतरा ज़िन्दगी जो रह गई है / रवीन्द्र प्रभात
- सचमुच कितना महत्त्वपूर्ण है शब्द ? / रवीन्द्र प्रभात
- अस्पताल, चिकित्सक और दर्द ..... / रवीन्द्र प्रभात