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"मुरझाया फूल / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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था कली के रूप शैशव-<br>
 
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में अहो सूखे सुमन, <br>
 
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23:49, 2 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

था कली के रूप शैशव-
में अहो सूखे सुमन,
मुस्कराता था, खिलाती
अंक में तुझको पवन !

खिल गया जब पूर्ण तू-
मंजुल सुकोमल पुष्पवर,
लुब्ध मधु के हेतु मँडराते
लगे आने भ्रमर !

स्निग्ध किरणें चन्द्र की-
तुझको हँसाती थीं सदा,
रात तुझ पर वारती थी
मोतियों की सम्पदा !