भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निजर/ कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
 
रुंख में  
 
रुंख में  
 
 
निकलसी  
 
निकलसी  
 
 
कठे कांटो'र कली
 
कठे कांटो'र कली
 
 
कुंपल'र फली  
 
कुंपल'र फली  
 
 
आ कुदरत जाने,
 
आ कुदरत जाने,
 
 
में माटी  
 
में माटी  
 
 
म्हारी निजर
 
म्हारी निजर
 
 
बीज पिछाने !
 
बीज पिछाने !
 
 
</Poem>
 
</Poem>

22:23, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

रुंख में
निकलसी
कठे कांटो'र कली
कुंपल'र फली
आ कुदरत जाने,
में माटी
म्हारी निजर
बीज पिछाने !