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"अच्छा खंडित सत्य / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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पीड़ित प्यार सहिष्णु <br>
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निर्धन दानी का उघडा उर्वर दुख
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धनी सूम के बंझर धुआँ-घुटे आनन्द से।
  
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व्यर्थ के श्रवण-मधुर भी छन्द से।<br>
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अन्तर्दृष्टि के,  
अच्छा <br>
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झूठे नुस्खे वाद, रूढि़, उपलब्धि परायी के प्रकाश से  
निर्धन दानी का उघडा उर्वर दुख<br>
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रूप-शिव, रूप सत्य की सृष्टि के।
धनी सूम के बंझर धुआँ-घुटे आनन्द से।<br><br>
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रूप-शिव, रूप सत्य की सृष्टि के।<br><br>
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00:20, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अच्छा
खंडित सत्य
सुघर नीरन्ध्र मृषा से,
अच्छा
पीड़ित प्यार सहिष्णु
अकम्पित निर्ममता से।

अच्छी कुण्ठा रहित इकाई
साँचे-ढले समाज से,
अच्छा
अपना ठाठ फ़क़ीरी
मँगनी के सुख-साज से।

अच्छा
सार्थक मौन
व्यर्थ के श्रवण-मधुर भी छन्द से।
अच्छा
निर्धन दानी का उघडा उर्वर दुख
धनी सूम के बंझर धुआँ-घुटे आनन्द से।

अच्छे
अनुभव की भट्टी में तपे हुए कण-दो कण
अन्तर्दृष्टि के,
झूठे नुस्खे वाद, रूढि़, उपलब्धि परायी के प्रकाश से
रूप-शिव, रूप सत्य की सृष्टि के।