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20:38, 28 जनवरी 2014 का अवतरण
रमेश 'कँवल'
जन्म | |
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जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
रमेश 'कँवल' / परिचय |
ग़ज़लें
- जुनूं हूँ, आशिकी हूँ / रमेश 'कँवल'
- मुस्कुराऊंगा,गुनगुनाऊंगा / रमेश 'कँवल'
- ख़ूबसूरत लगा चाँद कल / रमेश 'कँवल'
- तू उधर था,इधर हो गया / रमेश 'कँवल'
- इक नशा सा ज़हन पर छाने लगा / रमेश 'कँवल'
- फूल को ख़ुशबू सितारों को गगन हासिल हो / रमेश 'कँवल'
- रहबरे-कौम, रहनुमा तुम हो / रमेश 'कँवल'
- नाम हूँ मैं, मेरा पता तुम हो / रमेश 'कँवल'
- तुझ से मैं ,मुझसे आशना तुम हो / रमेश 'कँवल'
- दिन को दिन लिखना, रात मत लिखना / रमेश 'कँवल'
- ज़िन्दगी नाहक़ उदासी भर नहीं / रमेश 'कँवल'
- अपनी खुशियाँ सभी निसार करूँ / रमेश 'कँवल'
- उलझनों के गाँव में दुश्वारियों का हल भी है / रमेश 'कँवल'
- ज़िन्दगी इन दिनों उदास कहाँ / रमेश 'कँवल'
- ज़ख्म पर ज़ख्म वह नया देगा / रमेश 'कँवल'
- बल खाती मछलियाँ हैं,सफ़र चांदनी का है / रमेश 'कँवल'
- कुर्बत की तल्खियों से पिघलने लगी है शाम / रमेश 'कँवल'
- गुज़रे मौसम का पता सुर्ख लबों पर रखना / रमेश 'कँवल'
- लम्स की आँधियों से जो डर जायेंगे / रमेश 'कँवल'
- आस्थाओं का मुसाफ़िर खो गया / रमेश 'कँवल'
- जल गए याद के बामो-दर धूप में / रमेश 'कँवल'
- इक हवेली में बेचैन थे बामो-दर / रमेश 'कँवल'
- रंजिशें उभरीं तअल्लुक़ के सभी दर्पण चनक कर / रमेश 'कँवल'
- शाम हुई क़िस्तों में बिखरते सूरज का मंज़र उभरा / रमेश 'कँवल'
- आओ तुम आ कर बसा दो मेरे ख्वाबों के खंडर / रमेश 'कँवल'
- नुक्रई उजाले पर सुरमई अँधेरा है / रमेश 'कँवल'
- बिखरी हुई हयात से सिमटे लिबास थे / रमेश 'कँवल'
- अगरचे मुझको समर्पित किसी का यौवन था / रमेश 'कँवल'
- ऐ यार मेरे हिज्र के जंगल को जला दे / रमेश 'कँवल'
- जुनूं की वादियों से दिल को लौटाना भी मुश्किल है / रमेश 'कँवल'
- जोबन के दरीचों पे कोई पर्दा नहीं था / रमेश 'कँवल'
- जब समंदर में सूरज कहीं खो गया / रमेश 'कँवल'
- लिबासे-जिंदादिली तार तार था कितना / रमेश 'कँवल'
- सुनहरी यादों के जंगल में खो गयी होगी / रमेश 'कँवल'
- ग़म बिछड़ने का नयन सहने लगे / रमेश 'कँवल'
- किसी की आँखों में बेहद हसीन मंज़र था / रमेश 'कँवल'
- हरी पत्तियों पर फिसलती रही / रमेश 'कँवल'
- आसमां से छिन गया जब चाँद तारों का लिबास / रमेश 'कँवल'
- मुक़द्दर का सूरज घटाओं में था / रमेश 'कँवल'
- वह जो लगता था पयम्बर इक दिन / रमेश 'कँवल'
- जब से वह हो गयी इक छैल छबीले से अलग / रमेश 'कँवल'
- मये-गुलरंग का क़सूर नहीं / रमेश 'कँवल'
- मेरी सदाओं का सूरज बुझा बुझा सा था / रमेश 'कँवल'
- नाकर्दा गुनाहों की सज़ा काट रहे हैं / रमेश 'कँवल'
- काविशों का क़ाफ़िला उनकी नवाजिश पर रुका / रमेश 'कँवल'
- रोज़ डूबे हुए सूरज को उगा देती है / रमेश 'कँवल'
- तुझे मैं ख्वाबों का अलबम दिखा नहीं पाया / रमेश 'कँवल'
- तन की ख्वाहिश मन की लगन को सू-ए-हवस ले... / रमेश 'कँवल'
- है बात जब कि जलती फ़िज़ा में कोई चले / रमेश 'कँवल'
- मुश्किलों की आंच में ताप कर पयम्बर बन गए / रमेश 'कँवल'
- उभरेगा कभी जो है अभी डूबता चेहरा / रमेश 'कँवल'
- टूटे हुए तारे का मुक़द्दर हूँ सद अफ़सोस / रमेश 'कँवल'
- पत्थरों को आईना दिखला रहा है कोई शख्स / रमेश 'कँवल'
- जब भी मैं उस से मिलने की लेकर दुआ गया / रमेश 'कँवल'
- जाम-ओ-सुबू यूँ ही नहीं ठुकराए हुए हैं / रमेश 'कँवल'
- पहुँच इक मुस्ते खाकी की सितारों के जहाँ तक है / रमेश 'कँवल'
- क़ाबे से निकल के भी हैं इक क़ाबे के अन्दर / रमेश 'कँवल'
- जब भी मिलता है कोई शख्स अकेला मुझको / रमेश 'कँवल'
- जब ज़ुल्फ़ तेरी मुझ पे बिखरती नज़र आये / रमेश 'कँवल'
- ग़म तेरा मुझे अपनों का अहसास दिलाये / रमेश 'कँवल'
- हर आदमी दुःख दर्द में गल्तां नज़र आया / रमेश 'कँवल'
- मैं शहर में पत्थर के हूँ इक पैकरे-जज़्बात / रमेश 'कँवल'
- पैरों में मेरे फ़र्ज़ की ज़ंजीर पड़ी है / रमेश 'कँवल'
- ख्वाबों के दरीचे से न अब रूप दिखाओ / रमेश 'कँवल'
- वो रूखे-शादाब है और कुछ नहीं / रमेश 'कँवल'
- आज भी मेरा दमन ख़ाली,आज भी दिल वीरान / रमेश 'कँवल'
- सर्द है रात, सुलगती हुई तन्हाई है / रमेश 'कँवल'
- जुर्म है इश्क़ तो हाँ इसका खतावार हूँ मैं / रमेश 'कँवल'
- झूमती हर सुबह की खूं में नही शाम है / रमेश 'कँवल'
- हरदम दिल के आँगन में ली ग़म ने ही अंगडाई / रमेश 'कँवल'
- जब तेरी बंदगी नहीं होती / रमेश 'कँवल'
- तुम ही कहो बढ़ जाती है क्यों बरसातों में दिल... / रमेश 'कँवल'
- उमीदों की बस्ती सजी, तुम न आये / रमेश 'कँवल'
- दिल की दुनिया हो गयी ज़ेर-ओ-जबर / रमेश 'कँवल'
- बांहों में समंदर के दरया का सिमट जाना / रमेश 'कँवल'
- सामने तुम हो सामने हम हैं बीच में शीशे की दीवार / रमेश 'कँवल'
- क्या कशिश थी तेरे बहाने में / रमेश 'कँवल'
- हुस्न है दिलकश, तबाही इश्क़ को मंज़ूर है / रमेश 'कँवल'
- अपने अपने कान बंधक रख दो,ऑंखें फोड़ लो / रमेश 'कँवल'
- एक औरत ही आदम की तकदीर थी / रमेश 'कँवल'
- हर पल सँवरने सजने की फुर्सत नहीं रही / रमेश 'कँवल'