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<poem>
तुम पहचानते हो मुझे मेरी लिखावट से;
हमारे ईर्ष्‍याजनक साम्राज्‍य ईर्ष्याजनक साम्राज्य में सब कुछ सन्देहास्‍पद सन्देहास्पद है :हस्‍ताक्षरहस्ताक्षर, काग़ज़, तारीख़ें।बच्‍चे बच्चे भी ऊब जाते हैं इस तरह के शेखचिल्लियों के खेल में,खिलौने में उन्‍हें उन्हें कहीं अधिक मज़ा आता है ।
लो, मैं सीखा हुआ सब भूल गया ।
अब जब मेरा सामना होता हे नौ की संख्‍या संख्या औरप्रश्‍न प्रश्न जैसी गर्दन से प्राय: सुबह-सुबह
या आधी रात में दो के अंक से, मुझे याद आता है
हंस पर्दे के पीछे से उड़कर आता हुआ,
मालूम होता है कि मैंने फिर भी कुछ बचत कर रखी है ।
अधिक दिन तक चल नहीं सकेंगे ये छोटे सिक्‍के सिक्के ।पर नोट से अच्‍छे तो ये सिक्‍के सिक्के हैं,अच्‍छे अच्छे हैं पायदान सीढ़ियों के ।
अपनी रेशमी चमड़ी से विरक्‍त श्‍वेत विरक्त श्वेत ग्रीवा
बहुत पीछे छोड़ आती है घुड़सवार औरतों को ।
ओ प्रिय घुड़सवार लड़की ! असली यात्रा
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