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ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें | ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें |
18:25, 13 जुलाई 2008 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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ऎंगर बैठ लेओ कछु काने, काम जनम भर रानें
सबखाँ लागौ रात जियत भर, जौ नइँ कभऊँ बड़ानें
करियो काम घरी भर रै कैं,बिगर कछु नइँ जानें
ई धंधे के बीच 'ईसुरी' करत-करत मर जानें ।