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कोइलिया न बोली / त्रिलोचन

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|रचनाकार=त्रिलोचन
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|संग्रह=तुम्हे सौंपता हूँ / त्रिलोचन
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मंजर गए आम
कोइलिया न बोली
मंजर गए आम<br>बाटों के अपनेहाथ उठाएधरतीवसन्ती -सखी को बुलाएपड़े हैं सब कामकोइलिया न बोली<br><br>
बाटो के अपने<br>हाथ उठाये<br><br> धरती<br>वसंती -सखी को बुलाये<br>पडे हैं सब काम<br>कोइलिया न बोली<br><br> पाकर नीम ने<br>पात गिराए<br>बात अपत की<br>हवा फैलाये<br>फैलाएकहां कहाँ गए श्याम<br>
कोइलिया न बोली ।
</poem>
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