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ओ मेरे सनम / शैलेन्द्र

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|संग्रह=फ़िल्मों के लिए लिखे गीत-4 /शैलेन्द्र
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ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
तन सौंप दिया, मन सौंप दिया कुछ और तो मेरे सनम ओ पास नहीं जो तुम से है मेरे सनम <br>हमदम दो जिस्म मगर भगवान से भी वो आस नहीं - २जिस दिन से हुए एक जान हैं दूजे के इस दुनिया से अनजान है हम <br>एक दिल के दो अरमान हैं हम <br>ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम <br><br>
तन सौंप दिया, मन सौंप दिया <br>सुनते हैं प्यार की दुनिया में कुछ और तो मेरे पास नहीं <br>जो तुम दो दिल मुश्किल से है मेरे हमदम <br>समाते हैं भगवान से क्या गैर वहां अपनों तक के संग भी वो आस नहीं ना आने पाते हैं - २<br>जिस दिन से हुए एक दूजे के <br>हमने आखिर क्या देख लिया इस दुनिया से अनजान क्या बात है क्यों हैरान है हम <br>एक दिल के दो अरमान हैं हम <br>ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम <br><br>
सुनते हैं प्यार की दुनिया में <br>दो दिल मुश्किल से समाते हैं <br>क्या गैर वहां अपनों तक के <br>संग भी ना आने पाते हैं - २<br>हमने आखिर क्या देख लिया <br>क्या बात है क्यों हैरान है हम <br>एक दिल के दो अरमान हैं हम <br>ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम <br><br> मेरे अपने, अपना ये मिलन <br>संगम है ये गंगा जमुना का <br>जो सच है सामने आया है <br>जो बीत गया एक सपना था - २<br>ये धरती है इन्सानों की <br>कुछ और नहीं इन्सान हैं हम <br>एक दिल के दो अरमान हैं हम <br>ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम <br><br/poem>
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