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"अतुल अनन्त अचिन्त्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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<poem>अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्‌‌गुणों के शुचितम शुभ आकर।
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असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
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अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्‌‌गुणों के शुचितम शुभ आकर।
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          असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
 
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
 
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
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          अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
 
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
 
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥
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            राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥
 
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11:30, 10 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्‌‌गुणों के शुचितम शुभ आकर।
           असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
           अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
            राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥