"किरण के पाँव (गीत) / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
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दो दर्द को वह स्वर कि जल जाए उदासी का कफ़न | दो दर्द को वह स्वर कि जल जाए उदासी का कफ़न | ||
− | + | पा जाए फिर से ज़िन्दगी | |
− | + | उजड़ा चमन, मुरझा सुमन | |
हो साफ़-सुथरी हर गली | हो साफ़-सुथरी हर गली | ||
शबनम बिछा दो मख़मली | शबनम बिछा दो मख़मली | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
जिस पर सफलता की नज़र वह साधना कुन्दन बनी | जिस पर सफलता की नज़र वह साधना कुन्दन बनी | ||
− | + | यश ने जड़े नग इस तरह | |
− | + | हो मेदिनी की करघनी | |
लेकिन मृतक-सा जो यतन | लेकिन मृतक-सा जो यतन | ||
दुर्भाग्य को करता नमन | दुर्भाग्य को करता नमन | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
घबरा न माँझी प्राण के विपरीत यदि तीखा पवन | घबरा न माँझी प्राण के विपरीत यदि तीखा पवन | ||
− | + | किसको नहीं इस रात की | |
− | + | मँझधार में तट की लगन | |
आलोक की शमशीर से | आलोक की शमशीर से | ||
काली लहर को चीर दे | काली लहर को चीर दे | ||
असमय न तम भर जाए, अनब्याहे सपन की नाँव में | असमय न तम भर जाए, अनब्याहे सपन की नाँव में | ||
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12:33, 11 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
दे दो सवेरे को क़दम
टूटे अँधेरे का अहम्
निर्दोष दीपक जल रहा अपराधियों के गाँव में
दो दर्द को वह स्वर कि जल जाए उदासी का कफ़न
पा जाए फिर से ज़िन्दगी
उजड़ा चमन, मुरझा सुमन
हो साफ़-सुथरी हर गली
शबनम बिछा दो मख़मली
काँटा न लग जाए कहीं, उजली किरण के पाँव में
जिस पर सफलता की नज़र वह साधना कुन्दन बनी
यश ने जड़े नग इस तरह
हो मेदिनी की करघनी
लेकिन मृतक-सा जो यतन
दुर्भाग्य को करता नमन
उसकी तपन को दो शरण चन्दन सरीखी छाँव में
घबरा न माँझी प्राण के विपरीत यदि तीखा पवन
किसको नहीं इस रात की
मँझधार में तट की लगन
आलोक की शमशीर से
काली लहर को चीर दे
असमय न तम भर जाए, अनब्याहे सपन की नाँव में