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"उदासी का सबब / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(उदासी आंखों में पैठ गयी तो)
 
 
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रिबोक जूते की दुकान में आईने में
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रिबोक जूते की दुकान में आईने में
 
अपनी शक्ल देख अपनी औकात मापता हुआ
 
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आज मैं दूसरी बार उदास हो गया
आज मैं दूसरी बार उदास हो गया
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तब मैथि‍ली कवि महाप्रकाश की पंक्ति‍यों ने
 
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ढाढस बंधाया - जूता हम्मर माथ पर सवाल अछि ...
 
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और याद आईं रिबोक टंकित टोपियां
 
और याद आईं रिबोक टंकित टोपियां
 
 
जो परचम बनी लहराती रहती हैं
 
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तलाशा हालांकि उदासी का
तलाशा हालांकि उदासी का
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कोई मुकम्मल कारण नहीं मिला
 
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आईने में मेरी सफेद पडती दाढी थी
 
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क्या वही थी उदासी का सबब
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कानपुर में वीरेन दा ने यूं ही तो नहीं टोका था
 
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मेरी बढ आयी दाढी पर
 
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लौटते रेल में पति के साथ बैठी नवब्याहता भी
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घुल मिल गयी थी
 
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तो ... हजामत करूं नियमित
 
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पर ऐसे क्या ...
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उदासी आंखों में पैठ गयी तो
  
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सोचता हूं दौडूं और उदासी को
 
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पीछे छोड दूं।
उदासी  आंखों में पैठ गयी तो
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सोचता हूं दौडूं और उदासी को
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00:14, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

रिबोक जूते की दुकान में आईने में
अपनी शक्ल देख अपनी औकात मापता हुआ
आज मैं दूसरी बार उदास हो गया
तब मैथि‍ली कवि महाप्रकाश की पंक्ति‍यों ने
ढाढस बंधाया - जूता हम्मर माथ पर सवाल अछि ...
और याद आईं रिबोक टंकित टोपियां
जो परचम बनी लहराती रहती हैं

तलाशा हालांकि उदासी का
कोई मुकम्मल कारण नहीं मिला

आईने में मेरी सफेद पडती दाढी थी
क्या वही थी उदासी का सबब

कानपुर में वीरेन दा ने यूं ही तो नहीं टोका था
मेरी बढ आयी दाढी पर

लौटते रेल में पति के साथ बैठी नवब्याहता भी
घुल मिल गयी थी

तो ... हजामत करूं नियमित
पर ऐसे क्या ...
उदासी आंखों में पैठ गयी तो

सोचता हूं दौडूं और उदासी को
पीछे छोड दूं।

1998