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"आदर्श प्रेम / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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ले लेना सुगंध सुमनों की
 
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड उन्हे मुरझाना क्या
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तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
 
प्रेम हार पहनाना लेकिन
 
प्रेम हार पहनाना लेकिन
 
प्रेम पाश फैलाना क्या
 
प्रेम पाश फैलाना क्या

17:37, 27 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

प्यार किसी को करना लेकिन
कह कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या

गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गा कर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों से
औरों को भ्रम में लाना क्या

ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या

त्याग अंक में पले प्रेम शिशु
उनमें स्वार्थ बताना क्या
दे कर हृदय हृदय पाने की
आशा व्यर्थ लगाना क्या