भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अग्निधर्म / कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
लेखक: [[कन्हैयालाल नंदन]] | लेखक: [[कन्हैयालाल नंदन]] | ||
+ | [[Category:कविताएँ]] | ||
[[Category:कन्हैयालाल नंदन]] | [[Category:कन्हैयालाल नंदन]] | ||
15:46, 21 जुलाई 2006 का अवतरण
लेखक: कन्हैयालाल नंदन
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
अंगारे को तुमने छुआ
और हाथ में फफोला नहीं हुआ
इतनी सी बात पर
अंगारे पर तोहमत मत लगाओ.
जरा तह तक जाओ
आग भी कभी-कभी
आपद्धर्म निभाती है
और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती है.