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{{KKRachna
|रचनाकार=रेमिका थापा
|अनुवादक=बिर्ख खड़का डुबर्सेली
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<Poem>
छोड़ कर जाऊं, कहता था , कहीं और
एकान्तिक वह दूर की शून्यता तुम्हे दुखदायक नहीं लगेगी !
'''*मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली'''अनूदित
<Poem>
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