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"साच / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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वोट लागण लागग्यो।
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म्हैं तो हवा में उडणौ भी जाणूं
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वड़ौ मजौ आवै
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उण री नकल्यां करण में।
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बो गरीब दासियै आळै ज्यूं
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देखै म्हनै, पण फेर
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रीस खाय
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हाथ पग पटकतौ
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ऊपर सूं लेय’र हेठै तांई।
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साच, जीण री आपा बात कर रह्या हां।
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उण रै पग हुवै
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फगत पग 
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अर म्हैं उड’र छोड़ सकूं
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उण ने घणौ ई लारै के बो
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कदे नीं पकड़ सकै म्हनै
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अर, ओ ई तो है
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सबसूं बडौ साच।
 
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22:35, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

साच
की ठा क्यूं हुवै
इतरौ भयानक
अर डरवाणौ
किणी जंगळी
जिनावर री भांत
निरदयी अर मिनख खावणौ।
म्हारै लारै तो
खास तौर सूं लागोड़ौ है
उण वखत सूं
जद सूं म्हारौ
वोट लागण लागग्यो।

हाथ लांबी जीभ काढ़
दौड़तौ आवै
आपरै पंजा ने खुजळावतौ
म्हारै खानी
जाणें के म्हनै
पकड़ ई लेसी
पण म्हैं
म्हैं कठै कम हूँ
म्हैं तो हवा में उडणौ भी जाणूं
म्हैं तो छेडू उणने
सांची कैवूं
वड़ौ मजौ आवै
उण री नकल्यां करण में।

बो गरीब दासियै आळै ज्यूं
देखै म्हनै, पण फेर
रीस खाय
हाथ पग पटकतौ
फूंफाड़ा करतौ
निबळौ होय देखै
आपो आप ने, पूरौ
ऊपर सूं लेय’र हेठै तांई।
साच, जीण री आपा बात कर रह्या हां।
उण रै पग हुवै
फगत पग
अर म्हैं उड’र छोड़ सकूं
उण ने घणौ ई लारै के बो
कदे नीं पकड़ सकै म्हनै
अर, ओ ई तो है
सबसूं बडौ साच।