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"आफरीज्योड़ी पून / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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बारी बाण्डा
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गोंखा किवाड़
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सै बन्द करणा चाऊँ
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पण कर नीं पा रह्यौ हूँ।
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पून म्हारै घर रै
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धोरी मवड़ै रा
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चुळिया हिलावै
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जद आडौ नीं खुलै तो
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सेर्यां मांय कर आवै।
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इण हवा ने
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घर में आवण सूं रोकणौ
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गीता अर रमायण रौ
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हुय जासी
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पानौ पानौ अळगौ
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टूट जासी आंगणै में
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लागोड़ौ तुळछी जी रौ
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नान्हो सो पौधौ
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बुझ जासी मिन्दर में
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ठाकुर जी री दीपक
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उघड़ जासी
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म्हारै तन रा गाभा
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हवा रै साथै आयोड़ी संख में
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पिछाण कियां करसूं
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म्हैं म्हारी मां बैन
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बेटी, भाई अर जीसा री
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लोप हुय जासी
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घर री गै’री षांति
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इण विकराळ हवा रै आणै सूं
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जकी जीसा रै
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मिन्दर में रोज
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पाठ रणै सूं थरपीजी है।
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ओजूं तांई
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भचीड़ै है हवा
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म्हारा बाण्डा पूरै बेग सूं
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पण म्हनै
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बचाणौ है म्हारौ घर
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ई पून रै हमलै सूं
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बचाणी है
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घर री मान मरजाद।
 
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22:56, 25 फ़रवरी 2015 का अवतरण

म्हैं म्हारै घरा रा
बारी बाण्डा
गोंखा किवाड़
सै बन्द करणा चाऊँ
पण कर नीं पा रह्यौ हूँ।

बारली आफरौ चढ्योड़ी
पून म्हारै घर रै
धोरी मवड़ै रा
चुळिया हिलावै
जद आडौ नीं खुलै तो
सेर्यां मांय कर आवै।

इण हवा ने
घर में आवण सूं रोकणौ
घणौ जरूरी है
नीं तो कीं नीं बचैलौ
म्हारै इण मिन्दर जिसै घर में
साळ में लागोड़ी
सुरसत मां री फोटू
आय पड़ैली नीचै अर
आळै में पड़ी
दादोसा रै हाथ री
गीता अर रमायण रौ
हुय जासी
पानौ पानौ अळगौ
टूट जासी आंगणै में
लागोड़ौ तुळछी जी रौ
नान्हो सो पौधौ
बुझ जासी मिन्दर में
ठाकुर जी री दीपक
उघड़ जासी
म्हारै तन रा गाभा
हवा रै साथै आयोड़ी संख में
पिछाण कियां करसूं
म्हैं म्हारी मां बैन
बेटी, भाई अर जीसा री

लोप हुय जासी
घर री गै’री षांति
इण विकराळ हवा रै आणै सूं
जकी जीसा रै
मिन्दर में रोज
पाठ रणै सूं थरपीजी है।
ओजूं तांई
भचीड़ै है हवा
म्हारा बाण्डा पूरै बेग सूं
पण म्हनै
बचाणौ है म्हारौ घर
ई पून रै हमलै सूं
बचाणी है
घर री मान मरजाद।