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चिंता / भाग २ / कामायनी / जयशंकर प्रसाद
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11:03, 4 फ़रवरी 2015
बस मर्यादा-हीन हुआ।
करका क्रंदन करती
गिरती
,
और कुचलना था सब का।
पंचभूत का यह तांडवमय,
Sharda suman
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