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"नमस्कार / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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जिस मंदिर में रंक-नरेश समान रहा है | जिस मंदिर में रंक-नरेश समान रहा है | ||
जिसके हैं आराम प्रकृति-कानन ही सारे | जिसके हैं आराम प्रकृति-कानन ही सारे | ||
− | जिस मंदिर के दीप इन्दु, दिनकर | + | जिस मंदिर के दीप इन्दु, दिनकर औ’ तारे |
− | उस मंदिर के नाथ को, निरूपम निरमय | + | उस मंदिर के नाथ को, निरूपम निरमय स्वस्थ को |
नमस्कार मेरा सदा पूरे विश्व-गृहस्थ को | नमस्कार मेरा सदा पूरे विश्व-गृहस्थ को | ||
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12:24, 2 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
जिस मंदिर का द्वार सदा उन्मुक्त रहा है
जिस मंदिर में रंक-नरेश समान रहा है
जिसके हैं आराम प्रकृति-कानन ही सारे
जिस मंदिर के दीप इन्दु, दिनकर औ’ तारे
उस मंदिर के नाथ को, निरूपम निरमय स्वस्थ को
नमस्कार मेरा सदा पूरे विश्व-गृहस्थ को