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"रसना राम राम कह जारी / ईसुरी" के अवतरणों में अंतर

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16:41, 1 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

रसना राम राम कह जारी,
कौन जात है हारी।
जौ हरनाम सजीवन बूटी,
खात बनै तो खारी।
काँलों दिन उर रात सिखइये,
बऔ जात बिरथाँरी।
ईसुर हमना कोउ तुमाये
तैनाँ कोउ हमारी।