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"निषेध / रामनरेश पाठक" के अवतरणों में अंतर

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13:47, 4 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

ये अलिखित ही रहें

तनहाइयाँ, फिसलनें
नाउम्मीदियाँ, उलझनें,
तनाव, सिलवटें,
सुझाव, करवटें,

ये अलिखित ही रहें.

कोरे कागज़ का दर्द
यों ही बहुत होता है,
स्याही पी पी कर वह
और बड़ा होता है !!!