*[[शाम ढली सन्नाटा बिखरा गाँव में साँवली रात हुई / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]
*[[चाँदनी ओढ़कर पड़े रहिये / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]
*[[जब तलक चाँद पर कुछ जवानी रही पानियों का बदन गुदगुदाता रहा / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]
*[[वो मेरे घर के पत्थरों को आइना बना गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]
*[[जिधर निगाह उठ गई उसी का अक्स बन गया / दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]