{{KKRachna
|रचनाकार=मनमोहन
|अनुवादक=|संग्रह=जिल्लत ज़िल्लत की रोटी / मनमोहन
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शील्ड तो ये है हमारी क्योंकि हम हैं फ़ील्ड के
शील्ड हमको चाहिए और फ़ील्ड हमको चाहिए
फ़ील्ड में जो "यील्ड" ’यील्ड’ है वो यील्ड हमको चाहिए
सर पे पग्गड़ चाहिए और एक फ़ोटू चाहिए
गरज़ मोटी बात ये अख़बार सारा चाहिए
चौंतरा छिड़का हुआ हो, टहलुए दसबीस दस-बीस हों
इक दुनाली, एक हुक्का, एक मूढ़ा चाहिए
आना जाना हाकिमों हाक़िमों का, साथ मुस्टण्डे रहें
जूतियाँ चाटें मुसाहिब, दुनिया चाहे जो कहे
कौन है तू किसका पोता किस गली का है बशर
क्या है तेरी जात ज़ात जो तुझको भी टाइम चाहिए
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