"मच्छड़-वन्दना / जगदीश पाठक 'मधुकर'" के अवतरणों में अंतर
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− | तोरा डरें काँपवै-जहान, जै हो मच्छड़ भगवान ! | + | तोरा डरें काँपवै-जहान, जै हो मच्छड़ भगवान ! |
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सब्भै जीवोॅ केॅ तोहें एक्के रं देखै छोॅ | सब्भै जीवोॅ केॅ तोहें एक्के रं देखै छोॅ | ||
सब्भै जग्घा में तोहें एक्के रं घूमै छोॅ | सब्भै जग्घा में तोहें एक्के रं घूमै छोॅ | ||
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राग-रागिनी के तों ज्ञाता बेजोड़ छोॅ | राग-रागिनी के तों ज्ञाता बेजोड़ छोॅ | ||
लोकगीत, गजलो सुनावै निन्द-तोड़ छोॅ | लोकगीत, गजलो सुनावै निन्द-तोड़ छोॅ | ||
− | लहुवे टा श्रोता सें लै छोॅ तों दान ! जै | + | लहुवे टा श्रोता सें लै छोॅ तों दान ! जै होमच्छड़ भगवान ! |
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गावी-गावी कीत्र्तन दिलवावै छोॅ ताली | गावी-गावी कीत्र्तन दिलवावै छोॅ ताली | ||
आठो आúे ताली दै छौ पढ़ी-पढ़ी गाली | आठो आúे ताली दै छौ पढ़ी-पढ़ी गाली | ||
− | महिमा तोरोॅ लीला के, करेॅ बखान ! जै हो | + | महिमा तोरोॅ लीला के, करेॅ बखान ! जै हो मच्छड़ भगवान ! |
भरमाय छोॅ हीरो रं दै-दै सीटी-नारा | भरमाय छोॅ हीरो रं दै-दै सीटी-नारा | ||
हर दिन एक चुम्मा में गिनवावै छोॅ तारा | हर दिन एक चुम्मा में गिनवावै छोॅ तारा | ||
− | गिनथैं-गिनथैं तारा, होय जाय छै विहान ! जै हो | + | गिनथैं-गिनथैं तारा, होय जाय छै विहान ! जै हो मच्छड़ भगवान ! |
डाक्टर धुरंधर धन्वत्रिहो के बाप छोॅ | डाक्टर धुरंधर धन्वत्रिहो के बाप छोॅ | ||
रोगी-निरोगी के इलाज करै छाथ छोॅ | रोगी-निरोगी के इलाज करै छाथ छोॅ | ||
− | सुइया चुभाय खून खीचै छोॅ दोनों में समान ! जै हो | + | सुइया चुभाय खून खीचै छोॅ दोनों में समान ! जै हो मच्छड़ भगवान ! |
वही जनम सें आगा या सूदखोर सेठ छोॅ | वही जनम सें आगा या सूदखोर सेठ छोॅ | ||
लहुवे टा चुसी-चुसी आपनोॅ भरै पेट छोॅ | लहुवे टा चुसी-चुसी आपनोॅ भरै पेट छोॅ | ||
− | जत्तेॅ छिटै फ्ल्टि डीडीटी ओत्तेॅ बढ़ेॅ प्राण । जै हो | + | जत्तेॅ छिटै फ्ल्टि डीडीटी ओत्तेॅ बढ़ेॅ प्राण । जै हो मच्छड़ भगवान ! |
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मच्छड़ प्रभु ! देश में तोरे भरमार छै | मच्छड़ प्रभु ! देश में तोरे भरमार छै | ||
शोषण-व्याभिचार के सजलोॅ बाजार छै | शोषण-व्याभिचार के सजलोॅ बाजार छै | ||
− | ‘मधुकर’ छै मुक्ति लेली लोग परेशान ! जै हो | + | ‘मधुकर’ छै मुक्ति लेली लोग परेशान ! जै हो मच्छड़ भगवान ! |
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05:51, 29 जुलाई 2016 का अवतरण
जीवोॅ में प्रधान, बुद्धिमान, शक्तिमान, रक्तबीज खानदान
तोरा डरें काँपवै-जहान, जै हो मच्छड़ भगवान !
सब्भै जीवोॅ केॅ तोहें एक्के रं देखै छोॅ
सब्भै जग्घा में तोहें एक्के रं घूमै छोॅ
सर्वव्यापी आरो समदर्शी महान ! जै हो
राग-रागिनी के तों ज्ञाता बेजोड़ छोॅ
लोकगीत, गजलो सुनावै निन्द-तोड़ छोॅ
लहुवे टा श्रोता सें लै छोॅ तों दान ! जै होमच्छड़ भगवान !
गावी-गावी कीत्र्तन दिलवावै छोॅ ताली
आठो आúे ताली दै छौ पढ़ी-पढ़ी गाली
महिमा तोरोॅ लीला के, करेॅ बखान ! जै हो मच्छड़ भगवान !
भरमाय छोॅ हीरो रं दै-दै सीटी-नारा
हर दिन एक चुम्मा में गिनवावै छोॅ तारा
गिनथैं-गिनथैं तारा, होय जाय छै विहान ! जै हो मच्छड़ भगवान !
डाक्टर धुरंधर धन्वत्रिहो के बाप छोॅ
रोगी-निरोगी के इलाज करै छाथ छोॅ
सुइया चुभाय खून खीचै छोॅ दोनों में समान ! जै हो मच्छड़ भगवान !
वही जनम सें आगा या सूदखोर सेठ छोॅ
लहुवे टा चुसी-चुसी आपनोॅ भरै पेट छोॅ
जत्तेॅ छिटै फ्ल्टि डीडीटी ओत्तेॅ बढ़ेॅ प्राण । जै हो मच्छड़ भगवान !
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मच्छड़ प्रभु ! देश में तोरे भरमार छै
शोषण-व्याभिचार के सजलोॅ बाजार छै
‘मधुकर’ छै मुक्ति लेली लोग परेशान ! जै हो मच्छड़ भगवान !