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कलिजुग लागेको सवाई / वसन्त शर्मा लुइटेल
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|रचनाकार= वसन्त शर्मा लुइटेल
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सुन सुन पाच सुन सत्यजुग गयो
टुडिषेल्को ढोका धर्मले बाँच्यो
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