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"भय / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर
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17:24, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
लताओं से लिपटे पुराने पेड़
गहरी छायाओं में सोया है जंगल
मेरी बढ़ती हुई धड़कन में
सहमा है रक्त
उत्तेजना में देखता हूँ
छुपे हुए चेहरों को
उतरते हुए मुखौटों को
छनती हुई रोशनी के आर पार
जो पहुँच जाती है मेरी जड़ों में भी,
क्यों चला आया मैं यहाँ
अकेले ही
जो नहीं था उसे
ले आया यहाँ
18.8.2002