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"बदलाव / सपना मांगलिक" के अवतरणों में अंतर

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छूट गिरफ्त बादलों की सूरज
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बदली धरती मौसम बदला
बैचैन रौशनी फैलाने को
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नभ वायु जल भी गन्दला
बदल भी तो करते हैं श्रम
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कट जंगल बने ऊँची इमारत
रिमझिम बूँदें बरसाने को
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करें कृषक नौकरी की हिमायत
धरा आतुर सीने पर अपने
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धूप ही धूप छाँव कहीं ना
फसल हरी उगाने को
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मुश्किल हो गया है जीना
नभ टंकरित करता है ध्वनि
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बुढा गयी सृष्टि की काया
ऊर्जा देती हमको अग्नि
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कैसा यह बदलाव है आया?
जल से सबको प्राप्त जीवन
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करता न कुछ भी अभिभूत
करे प्राणों का संचार पवन
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हुई छटा पृथ्वी से विलुप्त
इंसान ,जानवर, पेड़ -पौधे सारे
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संकर बीज संकर ही नस्लें
गृह –उपग्रह, चाँद और तारे
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कृत्रिम वातावरण कृत्रिम ही फसलें
करें कर्म निरंतर ,निर्धारित हद
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कर छेड़छाड़ प्रकृति से क्या पाया?
जुटे रहते करने को पूरा
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अमृत देकर  जहर कमाया
अपने होने का मकसद
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कैसा यह बदलाव है आया?
 
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03:27, 21 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

बदली धरती मौसम बदला
नभ वायु जल भी गन्दला
कट जंगल बने ऊँची इमारत
करें कृषक नौकरी की हिमायत
धूप ही धूप छाँव कहीं ना
मुश्किल हो गया है जीना
बुढा गयी सृष्टि की काया
कैसा यह बदलाव है आया?
करता न कुछ भी अभिभूत
हुई छटा पृथ्वी से विलुप्त
संकर बीज संकर ही नस्लें
कृत्रिम वातावरण कृत्रिम ही फसलें
कर छेड़छाड़ प्रकृति से क्या पाया?
अमृत देकर जहर कमाया
कैसा यह बदलाव है आया?