"सबके मुड़ पिरवाथें / बुधराम यादव" के अवतरणों में अंतर
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सब नवा नवा भर गोठियाथें | सब नवा नवा भर गोठियाथें | ||
हंसिया कुदरी घर खेत कती | हंसिया कुदरी घर खेत कती | ||
− | जाये खातिर बर ओतियाथें | + | जाये खातिर बर ओतियाथें! |
बाबू साहेब अउ हवलदार | बाबू साहेब अउ हवलदार | ||
पढ़ लिख के कइ झन होवत हें! | पढ़ लिख के कइ झन होवत हें! | ||
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पउवा बोतल कुकरा बोकरा | पउवा बोतल कुकरा बोकरा | ||
सौ पचास रूपिया म! | सौ पचास रूपिया म! | ||
− | लुगरा पोलखा | + | लुगरा पोलखा घोतिया पटकू |
अउ गहना-गुरिया म! | अउ गहना-गुरिया म! | ||
पैसा वाले मन गरीब के | पैसा वाले मन गरीब के | ||
पंक्ति 40: | पंक्ति 40: | ||
नकटा बुचुवा मारे कूटे | नकटा बुचुवा मारे कूटे | ||
− | चोर उचक्का डाकू ! | + | चोर उचक्का डाकू! |
लोफड़ लंपट छल परपंची | लोफड़ लंपट छल परपंची | ||
लोभी लुच्चाछ आगू! | लोभी लुच्चाछ आगू! | ||
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पंच कउन सरपंच कउन | पंच कउन सरपंच कउन | ||
जनपद जिला पंचाइत! | जनपद जिला पंचाइत! | ||
− | गांव ठाँव के हित सेती | + | गांव ठाँव के हित सेती बर |
एक ठन जबर सिका इत! | एक ठन जबर सिका इत! | ||
नोट म बोट सके ले खातिर | नोट म बोट सके ले खातिर | ||
पंक्ति 64: | पंक्ति 64: | ||
गंजहा भंगहा घूमय! | गंजहा भंगहा घूमय! | ||
गहना गुरिया भड़वा बरतन | गहना गुरिया भड़वा बरतन | ||
− | के कीमत म झूमय ! | + | के कीमत म झूमय! |
मंदिर स्कूल पंचइत भवन म | मंदिर स्कूल पंचइत भवन म | ||
− | जुआ सट्टा खेंलंय ! | + | जुआ सट्टा खेंलंय! |
अपन सब सिरवाके लइकन | अपन सब सिरवाके लइकन | ||
− | मन बर पाप सके लंय ! | + | मन बर पाप सके लंय! |
असली सपूत हें गिने चुने | असली सपूत हें गिने चुने | ||
जे गाँव के लाज बचावत हें! | जे गाँव के लाज बचावत हें! | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 82: | ||
बिगड़त हें मोटियारी नोनी! | बिगड़त हें मोटियारी नोनी! | ||
चोंगा डब्वा तो ठौर ठौर | चोंगा डब्वा तो ठौर ठौर | ||
− | अनसुरहा कस बोरियावत | + | अनसुरहा कस बोरियावत हें! |
जेकर हाथ लगाम थमायेन | जेकर हाथ लगाम थमायेन | ||
पंक्ति 88: | पंक्ति 88: | ||
न काठी ले ऐंड़ लगावंय | न काठी ले ऐंड़ लगावंय | ||
न कोड़ा चमकावंय! | न कोड़ा चमकावंय! | ||
− | अंधवा कनवा खोरवा | + | अंधवा कनवा खोरवा लुलुवा |
− | अउ डोकरा डोकरी के ! | + | अउ डोकरा डोकरी के! |
सुख सुविधा ल हवंय डकारत | सुख सुविधा ल हवंय डकारत | ||
− | जइसे सब पोगरी के ! | + | जइसे सब पोगरी के! |
− | अपन भितिया खदर-कुरिया | + | अपन भितिया खदर-कुरिया |
काया कलप करावत हें! | काया कलप करावत हें! | ||
बदनाम घलव हें नाव बिचारी | बदनाम घलव हें नाव बिचारी | ||
− | मितानिन संगवारी के ! | + | मितानिन संगवारी के! |
पंचाइत अउ का सुसाइटी | पंचाइत अउ का सुसाइटी | ||
− | स्कूल का आंगन बारी के ! | + | स्कूल का आंगन बारी के! |
− | कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा | + | कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा कस |
− | मौका पाके ओसरावत | + | मौका पाके ओसरावत हें! |
कुछ रूप रंग म बउराये | कुछ रूप रंग म बउराये | ||
कुछ चारा चर पगुरावत हें! | कुछ चारा चर पगुरावत हें! | ||
बइठे जउने डारा अड़हा | बइठे जउने डारा अड़हा | ||
− | निरदइ असन बोंगियावत | + | निरदइ असन बोंगियावत हें! |
लखनउ दिल्लीर का कानपुर अब | लखनउ दिल्लीर का कानपुर अब | ||
− | खोर-गिंजरा | + | खोर-गिंजरा मन बर पारा! |
जकला भकला मन रहिन कहाँ | जकला भकला मन रहिन कहाँ |
03:01, 28 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
अब नवा जमाना के लइका
सब नवा नवा भर गोठियाथें
हंसिया कुदरी घर खेत कती
जाये खातिर बर ओतियाथें!
बाबू साहेब अउ हवलदार
पढ़ लिख के कइ झन होवत हें!
कइयों झन के करतूत देख
दाई ददा मन रोवत हें!
काम कमाई बिन कौड़ी भर
सूट बूट झड़कावत हें!
अब के लइका मन के होथे
ऊंच पूर कद काठी।
पन नइ जानय अखरा का ये
अउ भांजे बर लाठी!
रतिहा भर म राजनीति के
होथें जबर जुवारी!
पंचपति, सरपंच पति बन
लक्ष्मीपति पुजारी!
होटल म खावब अउ मोटर म
बस चलब सुहावत हें।
राजनीति के ओट म अइसन
नगरा नाचे लागिन!
तइहा के सोये राक्वछस मन
लागत हे फेर जागिन!
पउवा बोतल कुकरा बोकरा
सौ पचास रूपिया म!
लुगरा पोलखा घोतिया पटकू
अउ गहना-गुरिया म!
पैसा वाले मन गरीब के
नीयत घलव डोलावत हें!
नकटा बुचुवा मारे कूटे
चोर उचक्का डाकू!
लोफड़ लंपट छल परपंची
लोभी लुच्चाछ आगू!
भरे सभा म बइठे खुरसी
मच मच के गोठियाथें!
चमचा भरंय हुंका रू ऊपर
ले ताली पिटवाथें!
अपन नफा के सिरिफ गोठ ल
जानत अउ जनावत हें!
पंच कउन सरपंच कउन
जनपद जिला पंचाइत!
गांव ठाँव के हित सेती बर
एक ठन जबर सिका इत!
नोट म बोट सके ले खातिर
घर पहली सिरवाथें!
जीत गइन तौ पांच बरिा ले
सबके मुंड़ पिरवाथें!
मरहा-खुरहा-दुबरहा के
हक ल सक ल पचावत हें!
गली गुड़ी अऊ हाट बाट म
गंजहा भंगहा घूमय!
गहना गुरिया भड़वा बरतन
के कीमत म झूमय!
मंदिर स्कूल पंचइत भवन म
जुआ सट्टा खेंलंय!
अपन सब सिरवाके लइकन
मन बर पाप सके लंय!
असली सपूत हें गिने चुने
जे गाँव के लाज बचावत हें!
आगी खाके अंगरा उगलंय
अउ उधम मचावंय घूम घूम!
चिमटी भर ओनहा कपड़ा म
इन नाचंय गावंय झूम झूम!
घर घर म टी.व्ही.टेप देख सुन
एक एक ले अनहोनी!
टूरा टनका के का कहिबे
बिगड़त हें मोटियारी नोनी!
चोंगा डब्वा तो ठौर ठौर
अनसुरहा कस बोरियावत हें!
जेकर हाथ लगाम थमायेन
घोड़ा नइ कबूवावंय!
न काठी ले ऐंड़ लगावंय
न कोड़ा चमकावंय!
अंधवा कनवा खोरवा लुलुवा
अउ डोकरा डोकरी के!
सुख सुविधा ल हवंय डकारत
जइसे सब पोगरी के!
अपन भितिया खदर-कुरिया
काया कलप करावत हें!
बदनाम घलव हें नाव बिचारी
मितानिन संगवारी के!
पंचाइत अउ का सुसाइटी
स्कूल का आंगन बारी के!
कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा कस
मौका पाके ओसरावत हें!
कुछ रूप रंग म बउराये
कुछ चारा चर पगुरावत हें!
बइठे जउने डारा अड़हा
निरदइ असन बोंगियावत हें!
लखनउ दिल्लीर का कानपुर अब
खोर-गिंजरा मन बर पारा!
जकला भकला मन रहिन कहाँ
निच्च़ट सिधवा अउ बिचारा!
राज राज म किंजर बुलके
सीख गइन दुनियादारी!
खपरा ले लेंटरहा खातिर
बेचत हावंय कोला बारी!
दू चार आना मनो लगथें
बांचे कइ नाव धरावत हें!