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"तमाशा / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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अपने दरवाजे और खिड़कियाँ नहीं बन्द करते
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23:02, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

यहाँ जितना मज़ा
तमाशा करने वालों को
आता है
उतना ही देखने वालों को भी
नतीज़ा:
गीदड़ राजा हो जाता है
और भेडिये
बस्तियों में आजाद घूमते हैं

बातें करना
लोगों का शगल है
वरना पड़ोस में हादसा होते देखकर
अपने दरवाजे और खिड़कियाँ नहीं बन्द करते
फिर वारदात हो जाने के बाद
हुआँने का मतलब क्या
नारे लगाओं
जुलूस निकालो
कैंडिल मार्च करो
या मशालें जलाओ