"पाथेय / विकाश वत्सनाभ" के अवतरणों में अंतर
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हे बटोही | हे बटोही |
13:48, 6 मार्च 2017 के समय का अवतरण
हे बटोही
अहि अन्हार बाट पर डेग हनैत
कनेक बिलमि जाउ
तकतिआन करू
अहाँक पएरक तर मे
माटि अछि कि डायनामाइट?
अहाँ शकुनिक कुटिचालि मे
द्रौपदीक कोंचा फोलबाक लेल
कियेक अपसिआँत छी?
अहाँ अखियास करू
अहि काँट-कुश बला बाट पर
अहाँक पनही
कोना पहुँचल चोरबजार?
अहाँ कोन विवशता मे
ससरि रहल छी शोणितायल
अनामति अछि हाँर-पाँजर
कि रातिये थकुचल गेल बूट सँ?
अहि उकठ बाट मे
उँचका छै,रोड़ा छै,रेड़ा छै
अहाँ कोन ठाम खसब
के अहाँक उझाँटक अखिलाश करत
के अहाँक थतमतिक परिहास करत
के चौबटिया पर अहाँक ढेका घींचत
ई अँटकर कठिन अछि!
एखन चहुदिस सँ
होइत अछि अहाँक गहन 'स्कैनिंग'
परिछल जाइत अछि कोशिका
आ तदनुसार चुमेबाक
होइत अछि नित नव ओरियान
अहाँ संवेदना छी बाटक
अपन अकिलक ओरिआन सँ
जुनि गढ़ु आणविक अस्त्र
सृजन करू लोकहितक अनुसंधान!
हे बटोही
आब जागृत करू सुसुप्त चेतना
अहि चेतनाक चिनगी सँ
नेसू अहि अन्हार बाट पर इजोरिया
अहि बाटे भूतिआएल अहाँक हित-मीत
थाहि रहल छथि
एक मिसिया इजोत
ताकि रहल छथि
एक कनमा पाथेय...