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"वक़्त के विरोध में / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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उसने सोचा
 
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आड़ी पड़ी देह को
 
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सीधा खड़ा कर दे
 
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ठीक नब्बे डिग्री के कोण पर
 
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छू ले आसमान को एड़ियाँ उचकाकर
 
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वह उठी  
 
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बीस तीस सत्तर अस्सी कोण को पार कर
 
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पहुँच गई नब्बे पर
 
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तमाम कोशिशों का बावजूद
 
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आधी दबी रही ज़मीन में
 
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एक सौ अस्सी पर लेटी हुई
 
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अगली कोशिश थी उसकी
 
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सीधी रेख बनने की
 
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किन्तु बनती-बिगड़ती रही वह
 
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त्रिभुज-चतुर्भुज में
 
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अब झाड़ दिए हैं उसने सारे कोने
 
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वक़्त के विरोध में।
 
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18:32, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

उसने सोचा
आड़ी पड़ी देह को
सीधा खड़ा कर दे
ठीक नब्बे डिग्री के कोण पर
छू ले आसमान को एड़ियाँ उचकाकर
वह उठी
बीस तीस सत्तर अस्सी कोण को पार कर
पहुँच गई नब्बे पर
तमाम कोशिशों का बावजूद
आधी दबी रही ज़मीन में
एक सौ अस्सी पर लेटी हुई
अगली कोशिश थी उसकी
सीधी रेख बनने की
किन्तु बनती-बिगड़ती रही वह
त्रिभुज-चतुर्भुज में

अब झाड़ दिए हैं उसने सारे कोने
बन रही है वृत दौड़ में शामिल होने को
वक़्त के विरोध में।