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02:37, 24 जून 2009 का अवतरण
रहस द्वार पर
तनी मुट्ठियाँ
कवच टूटते
रोग-भोग में।
सहज। बावले।
थिर। उतावले।
दीवानेपन
मृत्यु-भोज में।
तपते सैकत
हिमशीतल कण
अचल विकल क्षण
उत्स-खोज में।
अगम-सुगम पथ
निरत-सुरत रथ
क्षर-अक्षर व्रत
योग-योग में।