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आदमी की बिसात / तारादत्त निर्विरोध
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04:01, 3 जुलाई 2010
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}}
{{KKCatGhazal}}
सच सभी का कहा नहीं होता, <br>
साँस लेने का मोल लेते हो, <br>
इससे कोई नफा नहीं होता । <br><br>
जंदगी
ज़िंदगी
से
जो
कट के रह जाए, <br>
वो कोई फलसफा नहीं होता । <br><br>
दर्द की बात फेर ही कीजे, <br>
द्विजेन्द्र द्विज
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