भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देसूंटो-7 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=देसूंटो / नीरज द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>
 
{{KKCatKavita‎}}<poem>
थारै मांय
+
साबत राखजे सबद
सगळा रंग म्हारा
+
ना लिखते थूं
कैयो थूं-
+
सबदां रै भाग मांय
हुवै रंग हजार
+
सबदां रै भाग मांय
पण कठै-कठै
+
सांस सरीखो सुळणो
थारै लारै
+
नीं रैयो अठै
+
कोई रंग सांवरा
+
  
म्हारा सगळा रंग
+
सबद रैवै निरदोस
थारा है सांवरा
+
दोसवान हुवै अरथ
अर थारो अेक रंग
+
म्हैं हूं सांवरा
+
  
रंग हुवै न्यारा-न्यारा
+
रैवै सबद में अदीठ
हुवै न्यारा-न्यारा
+
केई-केई अरथ
बां रा सबद  
+
अरथ हुवै
बां रा अरथ
+
सबद री
बां रा सुपना
+
सांस
आर बां रा सांच
+
का अमर आतमा
  
आभै रै सबदकोस सूं
+
सिरजक खातर
आवै सगळा-रा-सगळा सबद  
+
सबद में ई हुवै देस
अर बां रा सुपना
+
कांईं खाली हुय सकै
पण केई-केई वळा
+
किणी रै आवण-जावण सूं
सगळा-रा-सगळा सबद
+
कदैई कोई देस
पड़ जावै ओछा
+
जिंयां खाली हुय जावै डील
 +
आतमा रै जावण सूं
  
नीं पूंगै टैमसर
+
थारो खाली देस
जद कोई जोड़ीदार
+
ओ है
सबद, अरथ अर सुपनो
+
का बो है
तद लखावै
+
बगत अठै रो न्यारो
फगत सुपनां खातर ईज नीं
+
बगत बठै रो न्यारो
सबदां खातर ईज कायम है
+
आभै रै आंगणै
+
कोई जेळ
+
  
केई सबदां खातर
+
थूं मांडै बगत
सबदकोस ई बण जावै-
+
देख-देख
जेळ
+
अेकूकी सांस-सांस
 +
थारै हिसाब में
 +
कोनी आवै फरक
 +
फाट्यां सांस रै
 +
कोनी लागै सांधो
 +
कोई री ठाह हुवै
 +
अर ठाह नीं हुवै
  
सबदकोस मांय-
+
जद-जद थमै जूण
बै भोगै देसूंटो
+
साथै थम जावै
 +
म्हारो देस
  
जद सबदां नै
+
बिसाई खावै देस
तेड़ै सिरजक
+
पाछो मोह उपजावै
बै दूर जावै-
+
अर पकड़ हाथ री आंगळी
लेय परा अरथ
+
दौड़ावै ओ देस
आपो आप रो अरथ
+
  
म्है हूं सबद थारो
+
जाग है-
का हूं म्हैं कोई-
+
ओ देस
अरथ थारो
+
अर नींद है-
लियां थारो सुपनो
+
बो देस
थारो सांच
+
अर थारो ई आधार
+
  
म्हैं दुनिया रै
+
नीं हुवै पतियारो-
सबदकोस मांय
+
नींद रो
दीसत मांय दीसूं
+
ठाह नीं कद आय पूग
साव अरथ-बिहूणो
+
आंख्यां अगाड़ी
 +
काळी नींद
 +
काढती कोई
 +
आपरी रागळी
 +
भूंडै भेस
  
अठै आयो
+
छेकड़ जावणो ई पड़ैला
म्हैं अरथ-बिहूणो
+
सुपनो रचैला
तेड़ैला थूं म्हनै
+
उदबुदो राग
साव अरथ-बिहूणो
+
किणी दूजै देस
 +
अर गैरी नींद पोढ्यां
 +
भळै गुम जावैला चेतो
 +
कीं ठाह नीं पडै़ला
 +
इण री ठाह हुवै
 +
अर ठाह नीं हुवै
  
म्हनै आभो सूंप्या सबद
+
जे देस
म्हैं म्हारी धरती
+
सूय जावै
बीज्या सबद-सबद
+
पग पसार
तद धरती सूं मिल्या
+
कोई नीं जाग सकै
अरथ-अरथ
+
कोई नीं भाग सकै
अरथ मांयला अरथ
+
  
बिराजै सुपना
+
म्हारो असली देस
उजास रै आसण
+
थूं ईज है-
सबद री आंख मांय
+
सांवरा !
 +
उमर रै आंगणै
 +
बगत परवाण
  
जिण देस मांय है-
+
म्हारै सामीं बदळ्या है-
सुपना रो सांस-घर
+
थूं बीसूं बरस
उण देस री
+
पण थारै सामीं
धरती म्हारी
+
म्है रैवूं
आभो म्हारो
+
सदीव-सदीव टाबर
 +
साव टाबर
  
म्हारै मुलक रै आभै-
+
म्हारै बगत बसतै
मुलकाबायरा आभा !
+
थूं राख्या
म्हनै बधायो थूं-
+
सगळा सुपना म्हारा
किणी न पतंग री गळाई
+
  
म्हैं करूं जिंयां करै
+
बगत-बस्तो लियां
सगळा-रा-सगळा सागी करतब
+
लागै म्हनै हरेक देस
दरपण मांयली दुनिया
+
अेक स्कूल सांवरा
बठै छिब म्हारी
+
अदीठ डोर सूं
+
बंध्योड़ी रैवै
+
नीं लेवै कोई फैसलो
+
म्हैं पूगूं बठै
+
उण देस मांय
+
ओ देस अेक दरपण है
+
इण री ठाह हुवै
+
अर ठाह नीं हुवै
+
  
ओळख कोनी
+
घर-धणी !
सांस-घर रै आभै री
+
फगत थूं जाणै
जोवूं आभो
+
घर रो मारग
पण बठै है  आभो
+
म्हारो बा आभो
+
जिको सूंपै-
+
सांस नै सांस
+
अर जिण सूं
+
पावै प्राण
+
म्हारा सुपना
+
  
जाणूं सुपनां अर सांस सूं
+
अठै मिनखां रा है
थूं ढाळ्यो म्हनै-
+
न्यारा-न्यारा नांव
ओलै-छानै
+
न्यारा-न्यारा गांव
जद पूग्यो म्हैं
+
गांवां मांय ईज है
सांस रै सुपनै मांय
+
अठै केई-केई गांव
थूं फूंक्या प्राण
+
  
थनै रंग
+
म्हैं नीं जाणूं
थारै अदीठ परस
+
म्हारी आतमा रो है
दिन च्यार ई सही
+
कांई कोई नांव
सांस रै देस
+
हुयो म्हारो आपरो
+
कोई सुपनो
+
  
पज्योड़ो हूं म्हैं अठै-
+
थारै असवाड़ै-पसवाड़ै
अजब आडी मांय
+
अेक दुनिया म्हारी
थूं नीं रैय सकै
+
आखर री आंख सूं
चांकैसर थारै
+
सांस-सांस सोधू
 +
थारो रूप
  
थूं जाणै अरथ  
+
सबद मांय
थूं है म्हारै देस रो-
+
म्हैं देखूं अरथ
पैलो सबद
+
रूप-अरूप
पैलो सुपनो
+
पैली सांस
+
  
है धणियाप थारो-
+
थारै जायां पछै
सगळै सबदां माथै
+
कोई कोनी संभाळ्यो
सुपनां माथै
+
अर संभाळण री गत में
अर सांसां माथै
+
इण री ठाह हुवै
+
अर ठाह नीं हुवै
+
  
सबद म्हनै सुळझावै
+
कोनी हो म्हैं
सबद नीं उळझावै
+
झार-झार झर्या
 +
म्हारी आंख्यां आंसू-
 +
बण परा बै मोती
  
इण देस मांय-
+
अथाह कळपती काया मांय
उळझावै अरथ
+
जाणूं कळझळ-कळझळ
अरथ मांयलो अरथ
+
मांय म्हारै कळप्यो थूं
अठै उळझाव अरथ रो है
+
 +
आवै थारी ओळूं
 +
म्हारै तांई ऊपरथळी
 +
खोल बगत रा
 +
केई-केई किंवाड़िया
  
उळझावै सुपना
+
मन री धरती माथै
सुपनां मांयला सुपना
+
जूनी बातां रा रंग
अठै उळझाव सुपनां रो है
+
च्यारूंमेर खिंड जावै
 +
अर आभै मांय
 +
ठाह नीं लागै
 +
कठै-कणा
 +
कांई-कांई मंड जावै
  
सांस रै उळझाव मांय
 
नित उळझै
 
मरै, जीवै, मर-मर नैं जीवै
 
म्हारै मांयला मिनख
 
  
अै सबद है
+
इण दुख मांय
जिका भरमावै
+
चांकैसर नीं रैवै-
केई-केई वळा लखावै
+
मन म्हारो
कै खूटग्यो आं रो अरथ
+
म्हैं नीं मार सकूं
बो नीं लेवै सांस
+
अर किणी रै मार्यां ईज
गयो कठैई
+
मर नीं सकै
घर छोड आपरो
+
म्हारै मांय जीवै
 +
अर जीवैला-
 +
अमर छिब थारी
 +
कानी सैंधी म्हारी !
 +
थारी अरूप आतमा !!
  
पण अरथ नीं जाय सकै
+
ओळूं मांय बस्यो
कठैई छोड सूनो
+
थरो रूप  अखंड
आपरै सबद-घर नैं
+
ओळूं रैवै
अर जे जावै
+
अरूप जीवै
तद ईज खाली नीं रैवै-
+
अर ओळूं न
कोई सबद-घर
+
अरूप नैं नीं
 +
संभालै-
 +
रूप नैं!
 
</poem>
 
</poem>

20:00, 26 जून 2017 का अवतरण

साबत राखजे सबद
ना लिखते थूं
सबदां रै भाग मांय
सबदां रै भाग मांय
सांस सरीखो सुळणो

सबद रैवै निरदोस
दोसवान हुवै अरथ

रैवै सबद में अदीठ
केई-केई अरथ
अरथ हुवै
सबद री
सांस
का अमर आतमा

सिरजक खातर
सबद में ई हुवै देस
कांईं खाली हुय सकै
किणी रै आवण-जावण सूं
कदैई कोई देस
जिंयां खाली हुय जावै डील
आतमा रै जावण सूं

थारो खाली देस
ओ है
का बो है
बगत अठै रो न्यारो
बगत बठै रो न्यारो

थूं मांडै बगत
देख-देख
अेकूकी सांस-सांस
थारै हिसाब में
कोनी आवै फरक
फाट्यां सांस रै
कोनी लागै सांधो
कोई री ठाह हुवै
अर ठाह नीं हुवै

जद-जद थमै जूण
साथै थम जावै
म्हारो देस

बिसाई खावै देस
पाछो मोह उपजावै
अर पकड़ हाथ री आंगळी
दौड़ावै ओ देस

जाग है-
ओ देस
अर नींद है-
बो देस

नीं हुवै पतियारो-
नींद रो
ठाह नीं कद आय पूग
आंख्यां अगाड़ी
काळी नींद
काढती कोई
आपरी रागळी
भूंडै भेस

छेकड़ जावणो ई पड़ैला
सुपनो रचैला
उदबुदो राग
किणी दूजै देस
अर गैरी नींद पोढ्यां
भळै गुम जावैला चेतो
कीं ठाह नीं पडै़ला
इण री ठाह हुवै
अर ठाह नीं हुवै

जे देस
सूय जावै
पग पसार
कोई नीं जाग सकै
कोई नीं भाग सकै

म्हारो असली देस
थूं ईज है-
सांवरा !
उमर रै आंगणै
बगत परवाण

म्हारै सामीं बदळ्या है-
थूं बीसूं बरस
पण थारै सामीं
म्है रैवूं
सदीव-सदीव टाबर
साव टाबर

म्हारै बगत बसतै
थूं राख्या
सगळा सुपना म्हारा

बगत-बस्तो लियां
लागै म्हनै हरेक देस
अेक स्कूल सांवरा

घर-धणी !
फगत थूं जाणै
घर रो मारग

अठै मिनखां रा है
न्यारा-न्यारा नांव
न्यारा-न्यारा गांव
गांवां मांय ईज है
अठै केई-केई गांव

म्हैं नीं जाणूं
म्हारी आतमा रो है
कांई कोई नांव

थारै असवाड़ै-पसवाड़ै
अेक दुनिया म्हारी
आखर री आंख सूं
सांस-सांस सोधू
थारो रूप

सबद मांय
म्हैं देखूं अरथ
रूप-अरूप

थारै जायां पछै
कोई कोनी संभाळ्यो
अर संभाळण री गत में

कोनी हो म्हैं
झार-झार झर्या
म्हारी आंख्यां आंसू-
बण परा बै मोती

अथाह कळपती काया मांय
जाणूं कळझळ-कळझळ
मांय म्हारै कळप्यो थूं
 
आवै थारी ओळूं
म्हारै तांई ऊपरथळी
खोल बगत रा
केई-केई किंवाड़िया

मन री धरती माथै
जूनी बातां रा रंग
च्यारूंमेर खिंड जावै
अर आभै मांय
ठाह नीं लागै
कठै-कणा
कांई-कांई मंड जावै


इण दुख मांय
चांकैसर नीं रैवै-
मन म्हारो
म्हैं नीं मार सकूं
अर किणी रै मार्यां ईज
मर नीं सकै
म्हारै मांय जीवै
अर जीवैला-
अमर छिब थारी
कानी सैंधी म्हारी !
थारी अरूप आतमा !!

ओळूं मांय बस्यो
थरो रूप अखंड
ओळूं रैवै
अरूप जीवै
अर ओळूं न
अरूप नैं नीं
संभालै-
रूप नैं!