भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रिश्ते / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
  
 
क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।
 
क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।
 +
 +
  
 
-- यह कविता [[deepak]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>
 
-- यह कविता [[deepak]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>

11:20, 29 जुलाई 2006 का अवतरण

लेखक: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

खुद कपड़े पहने

दूसरे को कपड़े पहने देखना

खुद कपड़े पहने

दूसरे को कपड़े न पहने देखना

खुद कपड़े न पहने

दूसरे को कपड़े न पहने देखना

तीन अलग- अलग रिश्ते बनाना है


इनमें से

पहले से तुम्हें मन बहलाना है

दूसरे को खोजने जाना है

तीसरे के साथ मिलकर

क्रान्ति और सृजन का परचम उठाना है।


-- यह कविता deepak द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।