Changes

ये कौन आया हमारी गुफ़्तगू में
दिलों की बात पहुँची नश्तरों तक
निचुड़ना था किनारों को हमेशा
नदी को भागना था सागरों तक
बचीं तो कल्पना बनकर उड़ेंगी
अजन्मी बेटियाँ भी अम्बरों तक