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+ | हम न बिके | ||
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+ | सिर ताने खड़े थे। | ||
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+ | न पहचाना हमें | ||
+ | न कभी जाना हमें, | ||
+ | बदली राहें, | ||
+ | अलग है दिशाएँ | ||
+ | अब मिल न पाएँ। | ||
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+ | दूर सागर | ||
+ | लेके खाली गागर | ||
+ | भरने चले हम, | ||
+ | बाँटी हमने | ||
+ | हर बूँद पथ में | ||
+ | जो सागर से पाई. | ||
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+ | हम क्या करें! | ||
+ | दुआएँ बेअसर | ||
+ | भटके रात-दिन, | ||
+ | जहाँ भी रुके, | ||
+ | गरम आँसुओं से | ||
+ | दर गीला मिला था। | ||
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14:14, 12 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
16
पीछा न छोड़ें
गर्दिशें चली आईं
मुँह नहीं ये मोड़ें,
गिरे बारहा,
न हम हार माने
न वे माँगें जुदाई।
17
बिके हाट में
वे साधु-सन्त ज्ञानी
जो लगाए मुखौटे,
हम न बिके
भले दो कौड़ी के थे
सिर ताने खड़े थे।
18
बीता जीवन
न पहचाना हमें
न कभी जाना हमें,
बदली राहें,
अलग है दिशाएँ
अब मिल न पाएँ।
19
दूर सागर
लेके खाली गागर
भरने चले हम,
बाँटी हमने
हर बूँद पथ में
जो सागर से पाई.
20
हम क्या करें!
दुआएँ बेअसर
भटके रात-दिन,
जहाँ भी रुके,
गरम आँसुओं से
दर गीला मिला था।