भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुरानी यादें-3 / मनीषा पांडेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीषा पांडेय }} पुराना घाव बनकर यादें रिसती रहती हैं द...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=मनीषा पांडेय | + | |रचनाकार=मनीषा पांडेय |
+ | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
पुराना घाव बनकर यादें | पुराना घाव बनकर यादें | ||
− | |||
रिसती रहती हैं दिन-रात | रिसती रहती हैं दिन-रात | ||
− | |||
हलक में अटकी पड़ी रहती हैं सालों-साल | हलक में अटकी पड़ी रहती हैं सालों-साल | ||
− | |||
न उगली जाती हैं, न निगली | न उगली जाती हैं, न निगली | ||
+ | </poem> |
20:48, 26 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
पुराना घाव बनकर यादें
रिसती रहती हैं दिन-रात
हलक में अटकी पड़ी रहती हैं सालों-साल
न उगली जाती हैं, न निगली