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|भाषा=भोजपुरी
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<poem>
कइसे कटी जिनगी हमार
 
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
 
दिहल..अ...
 
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
 
चारों तरफ भईंल अन्हार
 
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...
</poem>
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