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"कैसे कटी जिनगी हमार / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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कइसे कटी जिनगी हमार
 
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दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
 
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दिहल..अ...
 
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कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
 
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चारों तरफ भईंल अन्हार
 
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हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...
 
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...
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10:45, 27 अप्रैल 2011 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कइसे कटी जिनगी हमार
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
दिहल..अ...
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
चारों तरफ भईंल अन्हार
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...