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− | * [[बीत गए युग फिरते-फिरते, चौरासी के फेरे मै / | + | * [[बीत गए युग फिरते-फिरते, चौरासी के फेरे मै / सांग:- महात्मा बुद्ध]] |
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− | * [[या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी / | + | * [[या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी / सांग:- महात्मा बुद्ध]] |
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00:41, 25 मई 2018 का अवतरण
पंडित राजेराम भारद्वाज
© कॉपीराइट: संदीप कौशिक। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग संदीप कौशिक की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 01 जनवरी 1950 |
---|---|
जन्म स्थान | लोहारी जाटू, बवानी खेड़ा, भिवानी, हरियाणा |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
'म्हारी संस्कृति म्हारा स्वाभिमान संस्था' द्वारा "हरियाणा संस्कृति रत्न" सम्मान से सम्मानित | |
जीवन परिचय | |
राजेराम भारद्वाज / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि सांग
- चार धाम गंगा-जमना से, 68 तीर्थ के! न्यारे / सांग:- बाबा छोटूनाथ
- जिसका कंथ रहै ना पास, कामनी रहती रोज उदास / सांग:- गोपीचंद-भरथरी
- हिणा माणस ठाढे तै, मजबुर भी होज्याया करै / सांग:- राजा दुष्यंत-शकुन्तला
- प्रकट होगी देबीमाई, चलकै ब्रहमलोक तै आई / सांग:- सत्यवान-सावित्री
- भवानी मात ज्वाला री, समरू देबी नाम तेरा / सांग:- सत्यवान-सावित्री
- तूं है जननी भारत माँ, तेरा जाणै ना कोऐ भा / काव्य-विविधा
- समरूं तनै हमेश मैं, करिये बेड़ा पार भवानी री / काव्य-विविधा
- मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री / काव्य-विविधा
- गुरू की बाणी आई, याद सब चेल्या नै / सांग:- गोपीचंद-भरथरी
- जयमल नऐ डिजाईन की ना देखीभाली / फुटकड़:- जयमल-फत्ता
- थारी बीरां की जात नै, किसतै नहीं दगा कमाया / सांग:- कंवर निहालदे-नर सुल्तान
- कई किस्म के नाच बताऐ, ना बेरा नाचण आली नै / सांग:- चापसिंह-सोमवती
- ब्रहमा बैठे फूल कमल पै, सोचण लागे मन के म्हां / काव्य-विविधा:- ब्रह्मज्ञान
- पाण्डू गये आश्रम के म्हां, ले गैल द्रौपदी राणी नै / सांग:- चमन ऋषि-सुकन्या
- शर्याति राजा छत्रधारी, कुटम्ब कबिला सेना सारी / सांग:- चमन ऋषि-सुकन्या
- करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा / सांग:- महात्मा बुद्ध
- नाम देवदत निश्चर बुद्धि, मुर्ख-मूढ़ ग्वार तेरी / सांग:- महात्मा बुद्ध
- बीत गए युग फिरते-फिरते, चौरासी के फेरे मै / सांग:- महात्मा बुद्ध
- लेख मै 24 बताये, श्री विष्णु के अवतार / सांग:- महात्मा बुद्ध
- टेम-टेम की बात, टेम कै गैल पुराणी हो सै / सांग:- महात्मा बुद्ध
- या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी / सांग:- महात्मा बुद्ध
- किया बखान महात्मा बुद्ध नै, ऐसा कलयुग आवैगा / सांग:- महात्मा बुद्ध