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+ | प्यारा- सा रिश्ता । | ||
+ | कितने सफ़र थे | ||
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+ | काँटों की राह चले | ||
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+ | सगे- संबंधी । | ||
+ | मासूम वो सवार | ||
+ | बड़ा नादान | ||
+ | छल-कपट भरी, | ||
+ | बेदर्द इस | ||
+ | दुनिया से अनजान । | ||
+ | बाज़- सा आया | ||
+ | इक नया सवार | ||
+ | उसे कहाँ था | ||
+ | भला इसका ज्ञान। | ||
+ | ले गया नाव | ||
+ | वो दूर देश कहीं | ||
+ | दोनों हैं खुश | ||
+ | तिल-तिल मरता | ||
+ | आँसू है पीता | ||
+ | पर चुप रहता | ||
+ | कभी झील को | ||
+ | मझधार को कभी | ||
+ | यूँ अपलक | ||
+ | निहारता रहता | ||
+ | वो पुराना सवार। | ||
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18:25, 18 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
मझधार में
एक नाव थी फँसी
सवार आया
देख वो घबराया
नाव को लेके
था किनारे लगाया ।
बना गहरा
मधुर,विलक्षण
प्यारा- सा रिश्ता ।
कितने सफ़र थे
संग में किए
वो सपने सारे ही
साकार हुए ।
काँटों की राह चले
पीछे ना हटे ।
छूट गए सारे ही
सगे- संबंधी ।
मासूम वो सवार
बड़ा नादान
छल-कपट भरी,
बेदर्द इस
दुनिया से अनजान ।
बाज़- सा आया
इक नया सवार
उसे कहाँ था
भला इसका ज्ञान।
ले गया नाव
वो दूर देश कहीं
दोनों हैं खुश
तिल-तिल मरता
आँसू है पीता
पर चुप रहता
कभी झील को
मझधार को कभी
यूँ अपलक
निहारता रहता
वो पुराना सवार।