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"गीत / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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+ | दूर हो तुझसे बीतेंगे साल कितने | ||
+ | काम हैं जितने उतने इलजाम भी हैं | ||
+ | फूटती सुबहें हैं तो ढलती शाम भी है | ||
+ | भर छाती धंसकर जीता हूं जीवन | ||
+ | कभी ये नियति देती उछाल भी हैं | ||
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+ | फैज इधर हैं उधर खय्याम भी हैं | ||
+ | लहरों पर पीठ टेके होता आराम भी है | ||
+ | खट-खट कर कैसे राह बनाता हूं थोड़ी | ||
+ | जानता हूं आगे बैठा भूचाल भी है | ||
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+ | दिल्ली,97 |
10:26, 5 अगस्त 2008 का अवतरण
जाने जीवन में क्यों हैं जंजाल इतने दूर हो तुझसे बीतेंगे साल कितने
काम हैं जितने उतने इलजाम भी हैं फूटती सुबहें हैं तो ढलती शाम भी है भर छाती धंसकर जीता हूं जीवन कभी ये नियति देती उछाल भी हैं
जाने...
फैज इधर हैं उधर खय्याम भी हैं लहरों पर पीठ टेके होता आराम भी है खट-खट कर कैसे राह बनाता हूं थोड़ी जानता हूं आगे बैठा भूचाल भी है
जाने...
दिल्ली,97