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|रचनाकार=मुनीर नियाज़ी
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[[Category:ग़ज़ल]]<poem>गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नहीं<br>तूने मुझको खो दिया, मैंने तुझे खोया नहीं<br><br> नींद का हल्का गुलाबी सा खुमार आंखों में था<br>यूँ लगा जैसे वो शब् शब को देर तक सोया नहीं<br><br> हर तरफ़ दीवारोंदीवार-ओ-दर और उनमें आंखों आँखों का हुजूम<br>कह सके जो दिल की हालत वो लबे-गोया नहीं<br><br> जुर्म आदम ने किया और नस्ले-आदम को सजा<br>काटता काटा हूँ जिंदगी भर मैंने जो बोया नहीं<br><br> जानता हूँ एक ऐसे शख्स को मैं भी 'मुनीर'<br>गम से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं</poem>
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